हो जाता हूँ ख़ामोश तुम्हें देखकर
जब आती हो सामने तुम
उस वक़्त दिल बस
तुझे ही देखने की ख़्वाहिश करता है
वो निकले थे बेहिजाब घर से
बस यही गलती थी उनकी
जो हज़ारों क़त्ल-ए-आम हो गए
सिर्फ उन्हें एक दफा देखने भर से
रहता नहीं हूँ खुद में
अब होश नहीं है मुझमें
मिल जाता हूँ तुम्हीं से ही
देखता हूँ तुम्हे अब सभी में
यूँ इस तरह से हमें सताया ना करें
जब भी बोलै करें सामने आ जाया करें
होश खो देते हैं हम अपने
जब भी होते हैं दीदार आपके
हो जाएँ ना कहीं गलती हमसे
रोक लो मेरी जान इस नादान दिल को
नहीं मानता है मेरा दिल अब ये
नहीं सुनता है मेरा दिल अब ये
जब से इसने तुम्हें देखा है
मेरा ना रहा है
वक़्त की है दुश्मनी मुझसे
जब भी होते हैं बाहों में तुम्हारी
कम्बख़्त बहुत तेज़ी से गुजरने लगता है